Translate

Saturday 8 February 2014

अध्याय 6 श्लोक 6 - 19 , BG 6 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi



 अध्याय 6 श्लोक 19


जिस प्रकार वायुरहित स्थान में दीपक हिलता-डुलता नहीं, उसी तरह जिस योगी का मन वश में होता है, वह आत्मतत्त्व के ध्यान में सदैव स्थिर रहता है |
 



अध्याय 6 : ध्यानयोग

श्लोक 6 . 19


यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता |
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः || १९ ||




यथा – जिस तरह; दीप – दीपक; निवात-स्थः – वायुरहित स्थान में; – नहीं; इङगते – हिलता डुलता; सा – यह; उपमा – तुलना; स्मृता – मानी जाती है; योगिनः – योगी की; यत-चित्तस्य – जिसका मन वश में है; युञ्जतः – निरन्तर संलग्न; योगम् – ध्यान में; आत्मनः – अध्यात्म में |


 
भावार्थ

जिस प्रकार वायुरहित स्थान में दीपक हिलता-डुलता नहीं, उसी तरह जिस योगी का मन वश में होता है, वह आत्मतत्त्व के ध्यान में सदैव स्थिर रहता है |
 
 तात्पर्य



कृष्णभावनाभावित व्यक्ति अपने आराध्य देव के चिन्तन में उसी प्रकार अविचलित रहता है जिस प्रकार वायुरहित स्थान में एक दीपक रहता है |



1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

11 12 13 14 15 16 17 18 19 20

21 22 23 24 25 26 27 28 29 30

31 32 33 34 35 36 37 38 39 40

41 42 43 44 45 46 47




<< © सर्वाधिकार सुरक्षित , भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट >>



Note : All material used here belongs only and only to BBT .
For Spreading The Message Of Bhagavad Gita As It Is 
By Srila Prabhupada in Hindi ,This is an attempt to make it available online , 
if BBT have any objection it will be removed .

No comments:

Post a Comment

Hare Krishna !!