Translate

Saturday 4 June 2016

अध्याय 11 श्लोक 11 - 26 , 27 , BG 11 - 26 , 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 11 श्लोक 26 -27

धृतराष्ट्र के सारे पुत्र अपने समस्त सहायकराओं सहित तथा भीष्म, द्रोण, कर्ण एवं हमारे प्रमुख योद्धा भी आपके विकराल मुखमें प्रवेश कर रहे हैं | उनमें से कुछ के शिरों को तो मैं आपके दाँतों के बीचचूर्णित हुआ देख रहा हूँ |



अध्याय 11 : विराट रूप

श्लोक 11 .26 - 27



अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घै |
भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदियैरपि योधमुख्यै: || २६ ||

वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि |
केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु सन्दृश्यन्ते चूर्णितैरूत्तमाङ्गै: || २७ ||



अमी – ये; – भी; त्वाम् – आपको; धृतराष्ट्रस्य – धृतराष्ट्र के;पुत्राः – पुत्र; सर्वे – सभी; सह – सहित; एव – निस्सन्देह; अवनि-पाल – वीर राजाओंके; सङ्घै – समूह; भीष्मः – भीष्मदेव; द्रोणः – द्रोणाचार्य; सूत-पुत्रः – कर्ण;तथा – भी; असौ – यह; सह – साथ; अस्मदीयैः – हमारे; अपि – भी; योध-मुख्यैः – मुख्ययोद्धा; वक्त्राणि – मुखों में; ते – आपके; त्वरमाणाः – तेजीसे; विशन्ति – प्रवेश कर रहे हैं; दंष्ट्रा – दाँत; करालानि – विकराल; भयानकानि –भयानक; केचित् – उनमें से कुछ; विलाग्नाः – लगे रहकर; दशन-अन्तरेषु – दाँतों केबीच में; सन्दृश्यन्ते – दिख रहे हैं; चूर्णितैः – चूर्ण हुए; उत्तम-अङगैः – शिरोंसे |

भावार्थ

धृतराष्ट्र के सारे पुत्र अपने समस्त सहायकराओं सहित तथा भीष्म, द्रोण, कर्ण एवं हमारे प्रमुख योद्धा भी आपके विकराल मुखमें प्रवेश कर रहे हैं | उनमें से कुछ के शिरों को तो मैं आपके दाँतों के बीचचूर्णित हुआ देख रहा हूँ |





तात्पर्य



एक पिछले श्लोक में भगवान् ने अर्जुन को वचन दिया था कि यदि वह कुछ देखने इच्छुक हो तो वे उसे दिखा सकते हैं |अब अर्जुन देख रहा है कि विपक्ष के नेता (भीष्म, द्रोण, कर्ण तथा धृतराष्ट्र के सारे पुत्र) तथा उनके सैनिक और अर्जुन के भी सैनिक विनष्ट हो रहे हैं | यह इसका संकेत है कि कुरुक्षेत्र में एकत्र समस्त व्यक्तियों की मृत्यु के बाद अर्जुनविजयी होगा | यहाँ यह भी उल्लेख है कि भीष्म भी, जिन्हें अजेय माना जाता है,ध्वस्त हो जायेंगे | वही गति कर्ण की होनी है | न केवल विपक्ष भीष्म जैसे महानयोद्धा विनष्ट हो जाएँगे, अपितु अर्जुन के पक्ष वाले कुछ महान योद्धा भी नष्टहोंगे |





1  2  3  4  5  6  7  8  9  10

11  12  13  14  15  16  17  18  19   20

21  22  23  24  25  26  27  28  29  30

31  32  33  34  35  36  37  38  39  40

41  42  43  44  45  46  47  48  49  50

51  52  53  54  55




<< © सर्वाधिकार सुरक्षित भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट >>




Note : All material used here belongs only and only to BBT .
For Spreading The Message Of Bhagavad Gita As It Is 
By Srila Prabhupada in Hindi ,This is an attempt to make it available online , 
if BBT have any objection it will be removed .

No comments:

Post a Comment

Hare Krishna !!