Translate

Tuesday 26 January 2016

अध्याय 11 श्लोक 11 - 7 , BG 11 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 11 श्लोक 7
हे अर्जुन! तुम जो भी देखना चाहो, उसेतत्क्षण मेरे इस शरीर में देखो । तुम इस समय तथा भविष्य में भी जो भी देखना चाहते हो, उसको यह विश्र्व रूप दिखाने वाला है । यहाँ एक ही स्थान पर चर-अचर सब कुछ है ।



अध्याय 11 : विराट रूप

श्लोक 11 . 7




इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम् |

मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टुमिच्छसि || ७ ||



इह - इसमें; एक-स्थम् - एक स्थान में; जगत् - ब्रह्माण्ड; कृत्स्नम् - पूर्णतया; पश्य - देखो; अद्य - तुरन्त; - सहित; चर - जंगम; अचरम् - तथा अचर, जड़; मम - मेरे; देहे - शरीर में; गुडाकेश - हे अर्जुन; यत् - जो; - भी; अन्यत् - अन्य, और; द्रष्टुम् - देखना; इच्छसि - चाहते हो ।



भावार्थ

हे अर्जुन! तुम जो भी देखना चाहो, उसेतत्क्षण मेरे इस शरीर में देखो । तुम इस समय तथा भविष्य में भी जो भी देखना चाहते हो, उसको यह विश्र्व रूप दिखाने वाला है । यहाँ एक ही स्थान पर चर-अचर सब कुछ है ।
.

तात्पर्य


कोई भी व्यक्ति एक स्थान में बैठे-बैठे सारा विश्र्व नहीं देख सकता । यहाँ तक कि बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी यह नहीं देख सकता कि ब्रह्माण्ड के अन्य भागों में क्या हो रहा है । किन्तु अर्जुन जैसा भक्त यह देख सकता है कि सारी वस्तुएँ जगत् में कहाँ-कहाँ स्थित हैं । कृष्ण उसे शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे वह भूत, वर्तमान तथा भविष्य, जो कुछ देखना चाहे, देख सकता है । इस तरह अर्जुन कृष्ण के अनुग्रह से सारी वस्तुएँ देखने में समर्थ है ।







1  2  3  4  5  6  7  8  9  10

11  12  13  14  15  16  17  18  19   20

21  22  23  24  25  26  27  28  29  30

31  32  33  34  35  36  37  38  39  40

41  42  43  44  45  46  47  48  49  50

51  52  53  54  55






<< © सर्वाधिकार सुरक्षित भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट >>



Note : All material used here belongs only and only to BBT .
For Spreading The Message Of Bhagavad Gita As It Is 
By Srila Prabhupada in Hindi ,This is an attempt to make it available online , 
if BBT have any objection it will be removed .

No comments:

Post a Comment

Hare Krishna !!