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Sunday 18 October 2015

अध्याय 8 श्लोक 8 - 18 - 19 , BG 8 - 18 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 8 श्लोक 18 - 19
ब्रह्मा के दिन के शुभारम्भ में सारे जीव अव्यक्त अवस्था से व्यक्त होते हैं और फिर जब रात्रि आती है तो वे पुनः अव्यक्त में विलीन हो जाते हैं |

जब-जब ब्रह्मा का दिन आता है तो सारे जीव प्रकट होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि होते ही वे असहायवत् विलीन हो जाते हैं |



अध्याय 8 : भगवत्प्राप्ति

श्लोक 8 . 18 - 19


अव्यक्ताद्वयक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे |
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके || १८ ||

भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते |
रात्र्यागमेSवशः पार्थ प्रभवत्यहरागमे || १९ ||







अव्यक्तात् – अव्यक्त से; व्यक्तयः – जीव; सर्वाः – सारे; प्रभवन्ति – प्रकट होते हैं; अहः-आगमे – दिन होने पर; रात्रि-आगमे – रात्रि आने पर; प्रलीयन्ते – विनष्ट हो जाते हैं; तत्र – उसमें; एव – निश्चय ही; अव्यक्त – अप्रकट; संज्ञके – नामक, कहे जाने वाले |

भूत-ग्रामः – समस्त जीवों का समूह; सः – वही; एव – निश्चय ही; अयम् – यह; भूत्वा भूत्वा – बारम्बार जन्म लेकर; प्रलीयते – विनष्ट हो जाता है; रात्रि – रात्रि के; आगमे – आने पर; अवशः – स्वतः; पार्थ – हे पृथापुत्र; प्रभवति – प्रकट होता है; अहः – दिन; आगमे – आने पर |



भावार्थ

ब्रह्मा के दिन के शुभारम्भ में सारे जीव अव्यक्त अवस्था से व्यक्त होते हैं और फिर जब रात्रि आती है तो वे पुनः अव्यक्त में विलीन हो जाते हैं |

जब-जब ब्रह्मा का दिन आता है तो सारे जीव प्रकट होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि होते ही वे असहायवत् विलीन हो जाते हैं |




तात्पर्य




अल्पज्ञानी पुरुष, जो इस भौतिक जगत् में बने रहना चाहते हैं, उच्चतर लोकों को प्राप्त कर सकते हैं, किन्तु उन्हें पुनः इस धरालोक पर आना होता है | वे ब्रह्मा का दिन होने पर इस जगत् के उच्चतर तथा निम्नतर लोकों में अपने कार्यों का प्रदर्शन करते हैं, किन्तु ब्रह्मा की रात्रि होते ही वे विनष्ट हो जाते हैं | दिन में उन्हें भौतिक कार्यों के लिए नाना शरीर प्राप्त होते रहते हैं, किन्तु रात्रि के होते ही उनके शरीर विष्णु के शरीर में विलीन हो जाते हैं | वे पुनः ब्रह्मा का दिन आने पर प्रकट होते हैं | भूत्वा-भूत्वा प्रलीयते – दिन के समय वे प्रकट होते हैं और रात्रि के समय पुनः विनष्ट हो जाते हैं | अन्ततोगत्वा जब ब्रह्मा का जीवन समाप्त होता है, तो उन सबका संहार हो जाता है और वे करोड़ो वर्षों तक अप्रकट रहते हैं | अन्य कल्प में ब्रह्मा का पुनर्जन्म होने पर वे पुनः प्रकट होते हैं | इस प्रकार वे भौतिक जगत् के जादू से मोहित होते रहते हैं | किन्तु जो बुद्धिमान व्यक्ति कृष्णभावनामृत स्वीकार करते हैं, वे इस मनुष्य जीवन का उपयोग भगवान् की भक्ति करने में तथा हरे कृष्ण मन्त्र का कीर्तन में विताते हैं | इस प्रकार वे इस जीवन में कृष्णलोक को प्राप्त होते हैं और वहाँ पर पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्त होकर सतत आनन्द का अनुभव करते हैं |





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